दिल की ये आरजू थी कोई दिलरुबा मिले,
लो बन गया नसीब कि तुम हम से आ मिले,
देखे हमें नसीब से अब अपने क्या मिले,
अब तक तो जो भी मिले बेवफा मिले,
आखों को एक इशारे की ज़हमत तो दीजिये,
कदमों में दिल बिछा दूँ इजाज़त तो दीजिये,
गम को गले लगा लूँ जो गम आप का मिले,
हम ने उदासियों में गुजारी हैं जिंदगी,
लगता हैं डर फरेब-ए-वफ़ा से कभी कभी,
ऐसा न हो के जख्म कोई फिर नया मिले,
कल तुम जुदा हुये थे जहाँ साथ छोड़ कर,
हम आज तक खड़े हैं उसी दिल के मोड़ पर,
हम को इस इंतजार का कुछ तो सिला मिले।
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