उनके लिए जब हमने भटकना छोड़ दिया,
याद में उनकी जब तड़पना छोड़ दिया,
वो रोये बहुत आकर तब मेरे पास,
जब हमारे दिल ने धड़कना छोड़ दिया।
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Wednesday, September 27, 2017
Sunday, September 24, 2017
देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी।
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी।
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ,
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ,
आवारा दिल को समझाकर खामोश रखती हूँ,
चेहरे पर झूठी हंसी का नकाब ओढे रहती हूँ,
मैं जो नहीं वो दिखाने की कोशिश करती हूँ,
आँखें भी आँसुओ से भरी अब दुखती है,
रात के अँधेरे में अक्सर इसलिए रो लेती हूँ,
जहाँ सपनो की दुनिया को चांद तारो से सजाया था,
टूट गया सपना तो अाज वही बिखरी खङी हूँ,
ढूढती हूँ वो पल जिस पल में मुझसे खुशी जुङी थी,
जिन्दगी के सब रंगो को फिर से खोजती हूँ,
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ.
क्या करू खुश रहू अक्सर अकेले बैठ यही सोचती हूँ,
गम जो सताए तो रोऊं नहीं ऐसी वजह ढूढती हूँ,
बिन वजह अक्सर खुद की परछाई से बाते कर लेती हूँ,
सुबह की रोशनी से कभी कभी जीने के हुनर सीखती हूँ,
नाराज न हो जाये जिन्दगी इस बात से डरती हूँ,
खामोश ओंठ है पर मन में कितनी बातें करती हूँ,
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ।
आवारा दिल को समझाकर खामोश रखती हूँ,
चेहरे पर झूठी हंसी का नकाब ओढे रहती हूँ,
मैं जो नहीं वो दिखाने की कोशिश करती हूँ,
आँखें भी आँसुओ से भरी अब दुखती है,
रात के अँधेरे में अक्सर इसलिए रो लेती हूँ,
जहाँ सपनो की दुनिया को चांद तारो से सजाया था,
टूट गया सपना तो अाज वही बिखरी खङी हूँ,
ढूढती हूँ वो पल जिस पल में मुझसे खुशी जुङी थी,
जिन्दगी के सब रंगो को फिर से खोजती हूँ,
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ.
क्या करू खुश रहू अक्सर अकेले बैठ यही सोचती हूँ,
गम जो सताए तो रोऊं नहीं ऐसी वजह ढूढती हूँ,
बिन वजह अक्सर खुद की परछाई से बाते कर लेती हूँ,
सुबह की रोशनी से कभी कभी जीने के हुनर सीखती हूँ,
नाराज न हो जाये जिन्दगी इस बात से डरती हूँ,
खामोश ओंठ है पर मन में कितनी बातें करती हूँ,
दर्द का गहरा समुन्दर लिए फिरती हूँ।
Friday, September 22, 2017
मेरी मोहब्बत से आज इतनी अनजान क्यों है,
मेरी मोहब्बत से आज इतनी अनजान क्यों है,
देकर जख्म मुझको इतनी नादान क्यों है,
पल पल जिंदा हूं तेरी यादों के सहारे,
मुझे जिंदा देखकर इतनी परेशान क्यों है ।।
देकर जख्म मुझको इतनी नादान क्यों है,
पल पल जिंदा हूं तेरी यादों के सहारे,
मुझे जिंदा देखकर इतनी परेशान क्यों है ।।
आज गुमनाम हूँ तो,
आज गुमनाम हूँ तो,
ज़रा फासला रख मुझसे,
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो,
कोई रिश्ता निकाल लेना.
ज़रा फासला रख मुझसे,
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो,
कोई रिश्ता निकाल लेना.
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