Sunday, February 26, 2017

खुद को इतना भी मत बचाया कर,

खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर।
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों में मुस्कुराया कर।
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर।
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर।

Saturday, February 25, 2017

खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं।

खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं।
जिसे भी देखो परेशान बहुत है।।
करीब से देखा तो निकला रेत का घर।
मगर दूर से इसकी शान बहुत है।।
कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं।
मगर आज झूठ की पहचान बहुत है।।
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी।
यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं।।