Saturday, May 27, 2017

कोई खुशियों की चाह में रोया,

कोई खुशियों की चाह में रोया,
कोई दुखों की पनाह में रोया,
अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का,
कोई भरोसे के लिए रोया,
कोई भरोसा करके रोया।

Thursday, May 25, 2017

मेरी फिक्र में खुद को भूल जाती हो,

मेरी फिक्र में खुद को भूल जाती हो,
और बेखबर हो मुझ को ये जताती हो।
होने लगती हो जिस पल दूर मुझसे,
कसम से उस पल बहुत याद आती हो।
चाहती हो कितना, पूछू जब कभी तो,
आँखों ही आँखों में सब कुछ बताती हो।
मोहब्बत में मेरी खुद को भुलाए बैठी हो,
और दिल में अपने जज़्बात छुपाती हो॥

Saturday, May 20, 2017

रोज़ तारों की नुमाइश में ख़लल पड़ता है,

रोज़ तारों की नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
एक दीवाना मुसाफ़िर है मेरी आँखों में,
वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है, चल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते है,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है,
उसकी याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धडकनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।

Saturday, May 6, 2017

ज़िंदगी सभी को मिली हो ये जरूरी तो नहीं,

ज़िंदगी सभी को मिली हो ये जरूरी तो नहीं,
हर किसी की चाहत पूरी हो ये जरुरी तो नहीं,
आग गुलशन में बहारें भी लगा सकती है,
सिर्फ बिजली ही गिरी हो ये ज़रूरी तो नहीं,
नींद तो दर्द के बिस्तर पर भी आ सकती है,
तेरी आगोश में ही सर हो ये ज़रूरी तो नहीं।।