Wednesday, April 25, 2018

कभी हंस लिये तो कभी मुस्कुरा दिये।

कभी हंस लिये तो कभी मुस्कुरा दिये।
जब हुए उदास तन्हाई मे रो लिये।।
सुनाने से दास्तां अपनी, अपनी ही रुसवाई थी।
कुछ छुपा ली हमने, कुछ पन्नो पे सजा दिये।।

ठोकर खाते हैं और मुस्कुराते हैं,

ठोकर खाते हैं और मुस्कुराते हैं,
इस दिल को सब्र करना सिखाते हैं।
हम तो दर्द लेकर भी लोगों को याद करते हैं,
और लोग दर्द देकर भी भूल जाते हैं।।