Saturday, May 27, 2017

कोई खुशियों की चाह में रोया,

कोई खुशियों की चाह में रोया,
कोई दुखों की पनाह में रोया,
अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का,
कोई भरोसे के लिए रोया,
कोई भरोसा करके रोया।

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