Saturday, August 4, 2018

हाल अपना तुम्हें बताना क्या,

हाल अपना तुम्हें बताना क्या,
चीर के दिल तुम्हें दिखाना क्या,
वही रोना है सदा का अब भी,
दास्ताँ फिर वो ही दोहराना क्या,
बेकरारी ही है जुदाई में,
ग़म की बातें तुम्हें सुनना क्या,
मेरी चुप्पी में तेरी मोहब्बत है,
बेवजह होंठों को हिलाना क्या।

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