Wednesday, March 7, 2018

क्या पूछते हो कैसी ये बिन बारिस बरसातें है?

क्या पूछते हो कैसी ये बिन बारिस बरसातें है?
मेरी आँखों से जो गिरते है तेरी ही सौगातें हैं।
सूखेगा अब कैसे मेरे आंखों का ये दरिया,
इस दरिया से होकर ही वो दिल में आते-जाते हैं।
ना लफ्ज नया ना हर्फ कोई ना कोई तराना नूतन,
भूली यादें याद आ जायें वही गीत पुराने गाते हैं।
अब फासला हैं ही कहाँ तेरे-मेरे दरमियां,
हैं इतने करीब मगर दूरियां दिखाते हैं।
अब आती नहीं हैं तेरी याद ऐसी बात नहीं है,
मैं था तेरा आईना कभी कहने भर की बातें हैं।

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