Tuesday, June 27, 2017

खुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,

खुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,
गम फुरसत में थे ठहर गए,
लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है,
पहले मुड़ कर देखते थे,
अब देख कर मुड जाते हैं।।

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