जाने लगे तेरे शहर से तो तुझे अलविदा भी न कह सके,
तेरी सादगी इतनी हसीन थी कि तुझे बेवफा भी न कह सके,
खुशी मिली लेकिन हस न सके गम मिला लेकिन रो न सके,
इक तझे ही दिल दिया किसी को बता न सके,
जिदगी का यही दसतूर है जिसे चाहा उसे पा न सकेे,
और जिसको पाएगे उसे कभी चाह न सकेे।।
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