Sunday, July 10, 2016

अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,

अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ !
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनियाँ,
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ !

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