Tuesday, June 28, 2016

जाने क्यों बेचैन हो जाते है हम,

जाने क्यों बेचैन हो जाते है हम,
खुद की मायूसियों में खो जाते है हम।
अश्को से भिगोकर तकिये को,
तेरी तस्वीर से लिपटकर सो जाते है हम।।

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